इच्छा
कैसी तीव्र ये इच्छा है ?
तापस घोर परिच्छा है
क्या सब ही इससे जूझ रहे हैं ?
जीवन का हल बूझ रहे है ?
मुझमें जो नास्तिक रोग है,
कहता यह सब संयोग है,
पर बाकी लोग यही कहते,
" तेरे कर्मों का भोग है "
अब मुझको तो पता नही है,
क्या पाप हुए गत जीवन में,
शायद कोई सुर छूट गया हो,
प्रभु वृन्दावन पूजा की लय में
मुझे कोई पश्चाताप क्यों हो
संग मेरे अब विज्ञान है
रहस्य अनावरण के पग-पथ पर
अब वही मेरा भगवान् है ।
तापस घोर परिच्छा है
क्या सब ही इससे जूझ रहे हैं ?
जीवन का हल बूझ रहे है ?
मुझमें जो नास्तिक रोग है,
कहता यह सब संयोग है,
पर बाकी लोग यही कहते,
" तेरे कर्मों का भोग है "
अब मुझको तो पता नही है,
क्या पाप हुए गत जीवन में,
शायद कोई सुर छूट गया हो,
प्रभु वृन्दावन पूजा की लय में
मुझे कोई पश्चाताप क्यों हो
संग मेरे अब विज्ञान है
रहस्य अनावरण के पग-पथ पर
अब वही मेरा भगवान् है ।
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